किशोरी विकास प्रशिक्षण वर्ग
किशोरी विकास : भारत में युवा पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी किशोर आबादी है जो कि लगभग 253 मिलियन के करीब है, और यहाँ हर पांचवां व्यक्ति 10 से 19 साल की उम्र के बीच का है। यह सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूपसे भारत के लिए बहुत फायदे की बात है, अगर यहाँ बड़ी संख्या में मौजूद किशोर-किशोरी सुरक्षित, स्वस्थ एवं शिक्षित हों, और सभी सूचना एवं जीवन कौशल में दक्ष हो कर देश के विकास में सहयोग करें ।
किशोर और किशोरियों को उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों की जानकारी का अभाव है और उन्हें सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी क्षमताओं को विकसित करने का पूरा मौका नहीं मिल रहा है | खासकर किशोरियां रूढ़िवादी सामाजिक मानदंडों के कारण काफी संवेदनशील हो जाती हैं जिसकी वजह से उन्हें उन्मुक्त स्वतंत्र रूप से घूमने, पढ़ने लिखने, काम करने, सामाजिक रिश्तों, शादी करने आदि के निर्णय लेने की आजादी छिन जाती है ।
घरेलू जिम्मेदारियों, शादी, बाल श्रम,रोज़गार के सम्बन्ध में शिक्षा की सीमित प्रासंगिकता, स्कूलों की दूरी, स्कूलों में शौचालय का न होना,आदि की वजह से 43 प्रतिशत लड़कियों को समय से पहले ही स्कूल छोड़ना पड़ता है ।कई देशों में मासिक धर्मके कारण लड़कियों का जीवन अकल्पनीयरूप से अस्तव्यस्त हो जाता है । भारत लगभग 42 प्रतिशत लड़कियां डिस्पोजेबल सेनेटरी नैपकिन की जगह कपड़े का उपयोग करती हैं।
समाज में व्यापक रूप से प्रचलित बाल विवाह लैंगिक असमानता और भेदभाव का स्पष्ट प्रमाण प्रदान करता है। अनुमान के मुताबिक मुताबिक भारत में 18 वर्ष से कम आयु की 1.5मिलियन लड़कियों की शादी प्रत्येक वर्षहोती है, जिसके कारण आज विश्व में सबसे ज्यादा बाल-विवाह भारत में होते हैं जो कि पूरे विश्व में होने वाले बाल-विवाह का एक तिहाई है ।
किशोर अवस्था में गर्भधारण करने वाली लड़कियों में मातृत्व एवं नवजात शिशुओं से सम्बंधित बीमारी एवं उनसे होने वाली मृत्यु का ख़तरा अधिक रहता है ।ग्रामीण क्षेत्रों में 15-19 वर्ष की आयु की लगभग 9 प्रतिशत किशोरियाँ व शहरी क्षेत्रों में लगभग 5 प्रतिशत किशोरावस्था में ही बच्चे पैदा कर रही हैं । किशोरावस्था की माताओं के बच्चों में बौनेपन का खतरा अधिक रहता है । इसकी वजह से बच्चों में दिमागी और शारीरिक विकृति देखने को मिलती है और युवा अवस्था में उनकी उत्पादकता प्रभावित होती है ।
किशोर-किशोरियों की क्षमताओं का समुचित उपयोग कर पूरी परिस्थितियों को बदला जा सकता है जिसके लिए उनकी सही उम्र में शादी, किशोरियों के पोषण एवं स्वास्थ्य में सुधार, अच्छी शिक्षा की व्यवस्था, कौशल विकास और कार्य करने और बेहतर नागरिक बनने के मौके उपलब्ध कराना ज़रूरी है।